5 सितंबर।।

 5 सितंबर।। 


    ये दिन भी हमे हमेशा याद रहता है। क्योंकि इसे हम 'Teachers Day' या 'शिक्षक दिवस' के लिए याद करते हैं।


      शिक्षक दिवस' क्यों मनाया जाता है? किसके लिए मनाया जाता है? कबसे इसको मनाया जाता है? इस विषय में मैं आपको ज्ञान नही दे पाऊँगी। क्योंकि मैं आपकी शिक्षक नहीं हूँ, सिर्फ अपनी सोच ही बता पाऊँगी। 

  वैसे तो हमारे रिश्तों और सामाजिक बंधनों के लिए तो अब Father's Day, Mother's Day, Sister's Day, Brother's Day, Grand Parent's Day, और तो और Cousin's Day भी मनाया जा रहा है। लेकिन इन सभी दिनों में एक बात बड़ी सामान्य है की ये सभी लोग आपस में बंधे हुए हैं,जुड़े हुए है। कोई दूर है तो कोई पास, कोई पराया भी है तो कोई खास, लेकिन संयोजकता (Connectivity) तो है ही। लेकिन थोड़ा याद करें कि कौन सा अध्यापक अभी भी आपके संपर्क में है और कितना आप उन्हें अपना वक़्त देते हैं?तो शायद बहुत कम गिनती होगी ऐसे लोगों की और उनमे से मैं भी, कतई नहीं हूँ।

      फिर भी अपने को तसल्ली दे देती हूँ की इस शिक्षक दिवस के रूप में कम से कम याद करने की ये संयोजकता (Connectivity)तो बनी रहे। और कम से कम अपने एक साल का एक दिन तो ऐसा है ही जिसे हम अपने शिक्षकों के लिए भी रख सकते हैं। जिसमें से हम सिर्फ कुछ घड़ी ही सही लेकिन याद तो कर ही लेते हैं। चाहे वो हमारा कोई प्राथमिक से लेकर इंटर कॉलेज या फिर ट्यूशन से लेकर खेल शिक्षक ही क्यों न रहा हो। 

      अपने अतीत के पन्नो की थोड़ी सी धूल अगर छाँटती हुँ तो इस दिन की बहुत सी यादें आ जाती हैं। जैसे 

     क्योंकि जितना मैडम का चेहरा सुंदर लगता था उतना ही उनका लटकाने वाला 'पर्स' भी। फिर कुछ वर्षों बाद हमने भी अपने स्कूल में 'मैडम' का किरदार निभाया। इस दिन कभी फूल तो कभी कलम तो कभी हाथ से बनाया हुआ कार्ड भी भेंट किया, हाँ अगर कभी थोड़ी जेब खर्ची मिल गई तो कोई डायरी भी भेंट करने से कतराए नहीं। इस भेंट से कहीं अधिक एक आदर था और इस दिन का इंतज़ार अपने जन्म दिन से कम ना था। सुबह से ही अपनी 'प्रिय मैडम जी' को देखने की ललक बनी रहती थी। उत्सुकता रहती थी कि आज मैडम कैसी दिखेंगी? और मैडम भी तो आज खूब तैयार होकर आती थी और हों भी क्यों ना ये दिन तो उन्ही का था। लेकिन अब तो ये सब सोचने का भी वक़्त हम नही दे पाते। 


         शिक्षा और सीख दोनों अलग अलग हैं लेकिन इन्ही दोनों ने मिलकर आज हमे इस लायक बनाया है कि हम अपने अपने कार्य क्षेत्र में बने हुए हैं और अपने समाज में भी।इसलिए जिन्होंने भी हमे शिक्षा दी और साथ ही साथ सीख भी दी, उन सभी को नमन है, फिर चाहे वो हमारे अध्यापक हो, गुरु हो, माता पिता हो, सखि दोस्त हो, भाई बहन हो या फिर पति पत्नी ही क्यों ना हो। इसीलिए आप सभी को जो किसी ना किसी रूप में अपना अपना कार्यकर रहें हैं, उन सभी को नमन के साथ साथ बधाई भी, आज के 'शिक्षक दिवस' की।

Comments

  1. Very well said.. Happy Teachers Day..🎂

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  2. Nice but I just want to add here , this kind of relationship may not be longer due to monetisation and professionalism involved in education “INDUSTRY” . Our upcoming generations may neglect this kind of respect to their teacher as this is going to be converted in pure business relationship. I wish I am proved wrong

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    1. हाँ। सहमत हूँ, कहीं कहीं तो ऐसा होता ही है लेकिन ये बात अगर मैं अपनी बेटी से करूँ तो उसे इस से कोई मतलब नही है, बच्चों का मन तो monetisation and professionalism से अलग है ना। ये बातें तो तुम और मैं सोच सकते हैं, वो भी जब दुनियादारी की
      समझ थोड़ी सी आने लगी। इसलिए मैंने भी अपने बचपन को ही या किया।
      ये विषय भी बहुत गंभीर है विस्तार से अपनी समझ साझा करूँगी। धन्यवाद।

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  3. धन्यवाद आप सभी का। आप भी अपनी यादें साझा कर सकते हैं।

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  4. पुरानी यादों में दोबारा ले जाने के लिए शुक्रिया ऐसा लगा मानो1990 के दौर में चले गए।

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  5. Beautifully expressed ...Being a teacher I have this privilege to be loved and respected by my beloved students . Even the virtual teaching has not widened the gap between student -teacher relationship...
    Neelam Thapliyal

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